Raag Yaman राग यमन
1) इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से होती है ।
2) इस राग की विशेषता है कि इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग किया जाता है। तीव्र म बजाना मतलब पूरा फ्लूट का होल ओपन करना. ओर आरोह ओर अवरोह में भी म तीव्र ही लगता है बाक़ी सभी स्वर शुद्ध लगते हैं।
3) इस राग को संध्या समय गाया-बजाया जाता है।
4) वादी स्वर है- ग
यह राग में जाति सम्पूर्ण है
आरोह नि रे ग म ध नि सा
अवरोह सा नि ध प म ग रे सा
यमन राग का परिचय
1) इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से होती है ।
2) इस राग की विशेषता है कि इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग किया जाता है। तीव्र म बजाना मतलब पूरा फ्लूट का होल ओपन करना. ओर आरोह ओर अवरोह में भी म तीव्र ही लगता है बाक़ी सभी स्वर शुद्ध लगते हैं।
3) इस राग को संध्या समय गाया-बजाया जाता है।
4) वादी स्वर है- ग
संवादी - नि
आरोह- ऩि रे ग, म॑ प, ध नि सां
अवरोह- सां नि ध प, म॑ ग रे सा
पकड़- ऩि रे ग रे, प रे, ऩि रे सा ।
विशेषतायें
1) यमन को मंद्र सप्तक के नि से गाने-बजाने का चलन है।
1) यमन को मंद्र सप्तक के नि से गाने-बजाने का चलन है।
2) इस राग में ऩि रे और प रे ओर नि रे ग का प्रयोग बार बार किया जाता है
3) इस राग को गंभीर प्रकृति का राग माना गया है।
3) इस राग को गंभीर प्रकृति का राग माना गया है।
4) इस राग को तीनों सप्तकों में गाया-बजाया जाता है।
5) कई राग सिर्फ़ मन्द्र, मध्य या तार सप्तक में ज़्यादा गाये बजाये जाते हैं,
6) इस राग में कई मशहूर फ़िल्मी गाने भी गाये और बजाए गए हैं।
Example : बहोत चर्चित गाना चंदन सा बदन, चंचल चितवन
दीप जले आन .आदि .
राग यमन में बहोत सारी बंदिशे प्रचलित है जैसे कि
अरि आली पिया बिन ये तीनताल मतलब 16 मात्रा की बंदिश भी बहोत लोग बजाते ओर गाते है
यह बंदिश का नाम आप यूट्यूब पर सर्च करोगे तो काफी बड़े पंडित लोगो ने इसे गाया ओर बजाय है
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